भारत सरकार

पयावरण र् , वन और जलवायुपिरवतनर् मऽालय ं

लोक सभा

अतारांिकत ूश्न संख्या 1603

08.12.2015 को उत्तर के िलए

जलवाय ुपिरवतनर् और वैिश्वक तापन

क्या पयावरण र् , वन और जलवाय ुपिरवतनर् मऽी ं यह बताने की कृपा करेंगे िक

(क) क्या सरकार ने देश में िनवनीकरण र् , जल ूबंध, कृिष उत्पादन के िवशेष सदभं र् में जलवायुपिरवतनर् तथा वैिश्वक तापन सबं ंधी कोई अध्ययन कराया है;

(ख) यिद हां, तो तत्संबधी ं ब्यौरा तथा पिरणाम क्या हैंतथा पयावरण र् , वन, जल ससाधन ं एवं कृिष उत्पादन आिद पर जलवायुपिरवतनर् तथा वैिश्वक तापन के ूितकूल ूभाव को कम करने के िलए क्या कायवाही र् आरम्भ की गई है;

(ग) क्या सरकार पयावरणीय र् सरक्षण ं के सबं ंध में अंतरांर् शीय सिधयों ं का कायान्र् वयन कर रही है; और

(घ) यिद हां, तो तत्संबधी ं ब्यौरा क्या है?

उत्तर

पयावरण र् , वन और जलवाय ुपिरवतनर् राज्य मऽी ं (ःवतंऽ ूभार)

(ौी ूकाश जावडेकर)  

(क) और (ख) पयावरण र् , वन और जलवायुपिरवतनर् मऽालय ं द्वारा जलवायुपिरवतनर् के ूभाव का आकलन करने के िलए एक वैज्ञािनक अध्ययन कराया गया और वष 2010 र् में ''जलवायु पिरवतनर् और भारत : 4x4 आकलन - 2030 दशक के िलए एक सेक्टोरल और क्षेऽीय िवँलेषण'' शीषकर् से एक िरपोटर् ूकािशत की गई थी । इस अध्ययन में भारत के चार जलवायु सवं ेदी क्षेऽों नामश: िहमालयी ूदेश, पिश्चमी घाट, तटीय क्षेऽ और पूवोर्त्तर क्षेऽ में भारतीय अथव्र् यवःथा के चार मख्ु य क्षेऽों नामश: कृिष, जल, वन और मानव ःवाःथ्य पर जलवायु पिरवतनर् के ूभावों का आकलन िकया गया । 

इस अध्ययन में कुछ फसलों में नकसान ु , वनों के संघटन में पिरवतनर् और िनवल ूाथिमक उत्पादकता सिहत कृिष उत्पादन में पिरवतनर् की पिरवतीर् दर का अनमान ु लगाया गया है । सभी क्षेऽों में अत्यिधक विष्टृ -पात की घटनाओं के बढ़ने की सभावना ं है । िहमालयी क्षेऽ में जल सचयं में विद्धृ होने का अनुमान है जबिक अन्य तीन क्षेऽों में इसके िभन्न-िभन्न रहने की सभावना ं है । नए क्षेऽों में मलेिरया के फैलने की सभावना ं है और दीघर् अविध के िलए इसके सचरण ं में विद्धृ होने की आशंका है।

सरकार ने जलवायु पिरवतनर् सबं ंधी मद्दों ु से िनपटने के िलए जून, 2008 में रांशीय जलवायुपिरवतनर् कायर् योजना (एनएपीसीसी) शुरू की है । एनएपीसीसी में सौर ऊजा, र् सविध ं तर् ऊजार् दक्षता, पयावासर् , जल, िहमालयी पािर-ूणाली को सतत बनाने, वािनकी, कृिष और जलवायु पिरवतनर् हेतुकायनीितक र् ज्ञान के िविशंट क्षेऽों में आठ िमशन शािमल हैंिजसमें मीन हाऊस गैसों के उपशमन तथा पयावरण र् , वन, पयावासर् , जल ससाधनों ं और कृिष पर जलवायुपिरवतनर् के ूितकूल ूभावों के अनकुूलन से संबंिधत मद्दों ु का िनराकरण िकया गया है । सभी राज्यों और सघं राज्य क्षेऽों (यूटी) से भी एनएपीसीसी के उद्देँयों के अनरूपु और जलवायुपिरवतनर् से सबं ंिधत राज्य के िविशंट मद्दों ु के सगतं राज्य जलवायुपिरवतनर् कायर् योजना (एसएपीसीसी) तैयार करने का अनरोधु िकया गया है । अब तक 32 राज्यों और सघं राज्य क्षेऽों ने अपनी एसएपीसीसी तैयार कर ली हैं। 

(ग) और (घ) भारत अनेक कन्वेंशन, ूोटोकॉल, अंतररांशीय संिधयों, बहु पक्षीय पयावरण र् करारों का एक पक्षकार है जैसे संयुक्त रांश जलवायुपिरवतनर् कायढा र् ंचा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी), मरूःथलीकरण का सामना करने के िलए सयं क्ुत रांश सम्मेलन (यएनसीसीडी ू ), जैिवक िविवधता सबं ंधी कन्वेंशन (सीबीडी), ओज़ोन परत का क्षय करने वाले पदाथोर्ं सबं ंधी मांशीयल ूोटोकॉल, खतरनाक अपिशंटों के सीमा-पारीय सचलन ं और उनके िनपटान को िनयिऽत ं करने सबं ंधी बेसल कन्वेंशन, आिद ।